आधुनिकता की आड़ में
आधुनिकता की आड़ में
आधुनिकता की आड़ में महाविद्यालय के प्रांगण में छिपी,
बड़े घरों की वे अर्धनग्न लड़कियां,
जो अंध: आधुनिकता की आड़ में
आधुनिकता के प्रतिमान को पीछे छोड़ रही हैं !
क्या उपहास नहीं है उन चारदीवारी में सिमट कर रह गईं प्रतिभाशाली लड़कियों का ?
जिनमें पढ़ने की ललक तो बहुत है लेकिन,
संसाधनों के अभाव में दबी
यहां तक पहुंच नहीं पाईं !
आधुनिकता की आड़ में छिपे,
अपने पिता की कमाई को सिगरेट के छल्लों में उड़ाते महाविद्यालय परिसर के वे आवारागर्द लड़के!
क्या तमाचा नहीं है उन लड़कों पर जो अभावों के बोझ तले दबकर
माँ-बाप का सहारा बनना चुना
बहन की दुपट्टे को अपने श्रम से बुना?