मेरी भांजी
मेरी भांजी
पापा की परी
आज लग रही न्यारी है
सजाई है मां ने उसको
आज भांजी लग रही प्यारी है
उठा कर वो सुबह-सुबह
सब को उसने ही बताई हैं
अवतरण दिवस है जो उसकी
नये वस्त्र धारण कर इतराई है
नजर ना लग जाए उसे
काला टिका मां ने लगाई है
अवतरण दिवस के मौके पर
सब से आशीर्वाद पाई है
ना कभी संकट आये उस पर
मां ने प्रभु से प्रार्थना कर आई है
सदा ऐसे ही मुस्कुराती रहे
ईश्वर से ये बिनती कर आई है
मामा देता आशीर्वाद यही
हर पल ऐसे ही खुश रहे
पूर्णिमा की चाँद सी
सदा ही चमकती रहे