मेरे हमदम
मेरे हमदम
मेरे अहसासों को महसूस किया तूने,
जज्बातों की कदर की,
बेइंतहा तेरे प्यार को,
मेरा दिल भी अब समझने लगा है,
पहले नासमझ थी मैं पर अब कुछ कुछ समझने लगी हूँ,
तुझको हरदम चाहने की जो ज़िद थी दिल की,
वो प्यार में बदल रही है,
दूर अब रह न सकूँ तुझसे हमदम मेरे,
साथ हमकदम बनने की रज़ा क्या है तेरी,
सात जन्मों का साथ निभाने की कोई रस्म न निभा सकूँ तो क्या,
बिन फेरे ही मैं हो जाऊंगी तेरी,
साथ तेरे, बनकर तेरी रह जाऊंगी मैं...!!