मेरा अनुराग मेरी प्रीत हो तुम
मेरा अनुराग मेरी प्रीत हो तुम
मेरा अनुराग मेरी प्रीत मेरी चाह हो तुम
सिर्फ़ तुम ही हो मेरे जब तुझे
दिल में उतरा था तुझे प्यार भरी आँखों से
तेरी छवि को इस दिल में इस शरीर में
बस उस दिन से बस गयी तेरी मूरत ऐसे
जैसे हर साँस के साथ धड़कन जुड़ती है जैसे
ज़िंदगी में पहले प्यार की पहली दस्तक
आज भी महसूस होती है वो यादों की महक
वो प्यार की चोरी की निगाह
वो चुपके से तुझे निहारना
वो तुझे दोबारा देखने की तमन्ना
तेरे दिखने पर खिल जाना और तेरी तरफ ही झुक जाना
जैसे सूरजमुखी खिलता है और
सूरज की ओर झुक जाता है और फिर
गाल गुलाबी हो जाना
वो शीशे में अपने को निहारते रहना
वो धीमे धीमे मुस्कुराना
व जोर जोर से दिल का धड़कना
ये सब यादें है मेरे पहले प्यार की
जो आज भी जिंदा है मेरे अंदर
जो आज भी जिंदा है मेरे दिल और दिमाग़ में
जो आज भी तरोताजा है इस शरीर और रूह में।।