STORYMIRROR

Rachna Rani Sharma

Abstract Classics

4  

Rachna Rani Sharma

Abstract Classics

मौसम

मौसम

1 min
475

ठिठुरा हुआ-सा सूरज, 

हौले-हौले से निकल रहा है। 

सहमी हुई-सी सुबह, 

मौसम बदल रहा है।।


ठहरे से ताल-तलैये, 

हलचल से डर रहे हैं। 

बगुलों की सुगबुगाहट, 

मौसम बदल रहा है।। 


ठण्डी-ठण्डी पवन भी, 

सुस्त-सी बह रही है। 

सर्दी से लग रहा है, 

मौसम बदल रहा है।।


पक्षियों की चहचाहट, 

जागने को कह रही है।

आँखों में भरी है निद्रा, 

मौसम बदल रहा है।। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract