सूरज दादा
सूरज दादा
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मुझको बतलाओ सूरज दादा !
तुमसे पूछूँ एक सवाल।
गुस्से में रहते हो क्यों ?
हरदम तुम लालमलाल।।
सुबह-सुबह निकल पड़ते हो,
क्या माँ से डाँट पड़ती है ?
इतनी शैतानी करते क्यों हो,
जो माँ से पिटाई पड़ती है।।
गुस्से में रहते हो हरदम,
पीले-पीले लड्डू से तुम।
सुबह-सुबह ही सज जाते हो,
आसमान की थाली में।।
ठण्डा-ठण्डा शर्बत पीकर,
गुस्से को तुम दूर भगाओ।
आइसक्रीम भी खिलवाँ दूर्गा,
ऐसे तो नखरे ना दिखाओ।।