आजाद परिन्दे
आजाद परिन्दे
ओ पंछी! उन्मुक्त गगन के,
फुर से तुम उड़ जाते।
दूर देश की सैर करके,
नीड़ पे आ सुस्ताते।।
आजादी से जीने वाले,
पंछी तुम मतवाले।
हवा के झोंके से,
अनन्त गगन में उड़ने वाले।।
तिनका-तिनका चुनकर,
घोसला बनाने वाले।
निःशब्द निःस्वार्थ रहकर,
बच्चों को जीवन देने वाले।।
जीवन की हर उठा-पटक से,
ये बेपरवाह परिन्दे।
निष्कलंक, निष्पाप जीवन की,
कला सिखाते कारिन्दे।।
