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Rachna Rani Sharma

Abstract

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Rachna Rani Sharma

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आजाद परिन्दे

आजाद परिन्दे

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ओ पंछी! उन्मुक्त गगन के, 

फुर से तुम उड़ जाते। 

दूर देश की सैर करके, 

नीड़ पे आ सुस्ताते।। 


आजादी से जीने वाले, 

पंछी तुम मतवाले। 

हवा के झोंके से, 

अनन्त गगन में उड़ने वाले।। 


तिनका-तिनका चुनकर, 

घोसला बनाने वाले। 

निःशब्द निःस्वार्थ रहकर,

बच्चों को जीवन देने वाले।। 


जीवन की हर उठा-पटक से, 

ये बेपरवाह परिन्दे। 

निष्कलंक, निष्पाप जीवन की, 

कला सिखाते कारिन्दे।।


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