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Jyotshna Rani Sahoo

Tragedy

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Jyotshna Rani Sahoo

Tragedy

मैं तुम्हें वहां मिलूंगी

मैं तुम्हें वहां मिलूंगी

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तुम मुझे गली में 

बालकोनी में और छत में

ढूँढना बंद कर दो

मैं तुम्हें कॉलेज में मंदिर में

भी कम दिखूंगी।


सजती संवरती घर से निकली हुई

कम ही दिखूंगी

हस्ती चहकती मेले में

कभी कभी बस दिखूंगी।


रोज के अख़बारों के पन्नों में

पहले नहीं तो बीच में

जरूर दिख जाऊंगी

कभी कुचली हुई बदन में

कभी एसिड की मार पर

दर्द से कराह रही तस्वीर में

आए दिन दिख जाऊंगी।


दुनिया के ताने

अपने जब बनते बेगाने

सारे दर्द को खुद में समेटे

मैं तुम्हें फाँसी पे लटकी हुई दिखूंगी।


प्रेमी से धोखा खाकर

नदी के किनारे फेंका गया

एक लाश बनकर दिखूंगी

कली होने से पहले

दफना गया होगा

दुनिया में आने से पहले

सोनोग्राफी में बस दिखूंगी।


बंद कर दो मुझे ढूंढना

हर एक जुब़ान में

ताने के रूप में दिखूंगी

हर हैवान के आंख में

हवस के भूख बन के दिखूंगी।


मैं खुद का पक्का ठिकाना

अब बता दी सारी

ढूंढ लो तुम सारा जगह

कहीं ना कहीं मैं

तुम्हें जरूर मिल जाऊंगी।



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