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Anil Jaswal

Fantasy

4  

Anil Jaswal

Fantasy

मैं भी दुनिया देखूंगा

मैं भी दुनिया देखूंगा

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पिंजरे में बंद,

एक पक्षी,

ललचाता देख,

बाहर साथीयों को,

मैं भी दुनिया देखूंगा,

आजादी से घुमूंगा,

देश विदेश जाऊंगा,


खेतों में ताजे फल खाऊंगा,

भिन्न भिन्न नदियों का,

मीठा जल पीऊंगा,

अंतराष्ट्रीय मैच मुफ्त में देखूंगा,

खूब मजे करूंगा,

खुली हवा में सांस भरूंगा।


लेकिन ये तभी संभव,

अगर मैं निकलूं इस जेल से बाहर,

पाऊं इस पिंजरें की,

पाबंदी से छूटकारा।


मुझे आता आक्रोश,

इस मनुष्य प्रजाति पर,

ये क्यों पकड़ते,

हम परिंदों को,

फिर सताते,

हमारी आजादी पर चोट करके।


मैं करता,

उपर वाले से दुआ,

कुछ डाल मनुष्यो के भेजे में,

ऐसी बात,

हमें ये समझें अपना दोस्त,

दोनों करें एक दुसरे का सहयोग।


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