मैं बेचारी
मैं बेचारी
हां मैं तुमसे दामन छुड़ाना चाहती हूं,
तुम्हारी बत्तामीजियों से आज़िज़ आ गई हूं,
तुमसे दूर जाना चाहती हूं,
तुम जो हर बात पर मुझे ताने देते रहते हो,
उन जानलेवा तानों से मुक्ति पाना चाहती हूं,
हां मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूं।
हो सकता है तुम फिर ताने दो मुझे
कि मेरा मन अब भर गया है तुमसे,
हो सकता है तुम्हें ये लगे कि
कोई और मिल गया है मुझे,
तुम्हारे संदेह से परे मैं हो नहीं सकती,
हाँ, मैं बहुत दुःख़ी हूँ, पर,
तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर रो नहीं सकती।
एक ही बात सौ बार नहीं कहूंगी,
अब जो भी तुम कहोगे,
मैं चुप ही रहूँगी।
तुम्हारे तानों के बोझ तले दबी जा रही हूँ,
सुनसान-सी सड़क पर चली जा रही हूँ,
मेरे सब अपने मुझसे दूर हो रहे,
अब मेरी कोई भी बात वो सुन नहीं रहे।
सोचा था तुमसे रिश्ता अब कृष्ण-सा है,
सोचा था अब साथ रहेंगे जीवन जैसा जितना-सा है,
मगर अब मेरी किस्मत ही रूठी,
तुम सब सच्चे, मैं ही झूठी,
तुम देख नहीं पा रहे मेरी लाचारी,
सब हँसे जा रहे, मैं बनी बेचारी।
