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Bhisham Kumar

Drama Tragedy

2.4  

Bhisham Kumar

Drama Tragedy

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और मेरी तन्हाई

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मैं और मेरी तन्हाई

अक्सर बातें किया करते है,

क्या हुआ कोई अपना साथ नहीं

मेरे अपनों का समय किसी और के नाम सही।

खुश है अगर वो अपनी दुनिया में

तो मैं कौन-सा गमगीन अकेला पड़ा हूँ।

हैं न मेरी तन्हाई...

मेरे पास।

मैं और मेरी तन्हाई

अक्सर बातें किया करते है

अच्छा भला हूँ

जो दिखावे, झूठे और इन छलेबाजो से,

दूर खड़ा हूँ।

हाँ आंखे छलक जाती है, कभी-कभी,

जब एहसास और याद पुरानी आती हैं,

पर आज जहाँ मैं खड़ा हूँ,

वहाँ मैं और मेरी तन्हाई हैं

जो बिछड़ गए,

उसका मुझे कोई मलाल नही,

और जो मिला उसका कोई जोड़ नही,

क्योंकि इसका किसी से होड़ नही,

ये और कोई नही मेरी तन्हाई है,

खुशी हो या ग़म पर...

ये हमेशा हम से बात कर लिया करती है।

और हमेशा की तरह एक बात

प्यार से समझा दिया करती है,

क्या फर्क पड़ता है, अपनो का साथ नही,

मैं और मेरी तन्हाई

अक्सर बातें किया करते है..!


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