वक़्त
वक़्त
वक़्त छोड़ दिया मैंने हर उस बेग़ैरती अपने को
जिसके बुरे वक्त में सिर्फ मैं अपना था।
वे देते दुहाई हमे वक़्त की कि वक़्त नहीं मिलता
और एक हम थे उस वक़्त की जो वक़्त नहीं देखता था।
तजुर्बे वक़्त ने उसे मंजिलें और महफिले शोहरत दी
ओर उसी वक़्त के हिसाब ने मुझे गुमनामी।
