सफलता
सफलता


रुका नहीं,अभी मैं झुका नहीं
थोड़ी उलझन में है जिंदगी
खुद संवारने में लगा हूँ,
ज़ज़्बा थोड़ा हिला है
थोड़े कदम लड़खड़ाए
थोड़ा सा दिल टूटा
थोड़ा मन अनसुलझा
थोड़ा समय से पीछे हुआ हूँ
पर मेरे हौसले की सांस
आज भी जिंदा है, क्योंकि अभी मैं
रुका नहीं, अभी मैं झुका नहीं
समझ लो कुछ यूं, कहानी मेरी
तूफान के पहले की शांति हमारी
या समझ लेना समंदर में चक्रवात
के आने से पहले लहरों की शांति हमारी
मत भूलो की हमने बड़े से बड़े चट्टान
घने जकड़े जड़ के पेड़ को भी
धूल चटाया है
कितने सफलताओ को अपने
कदमों में झुकाया है
लौट कर आऊंगा महाराणा प्रताप की तरह
एक बाण से अपना कौशल दिखाऊंगा
ये घमण्ड नहीं मेरा विश्वास है
मेरे हौसले की नहीं ये आखिरी उड़ान है
सफलता के परचम मैं फिर लहराउंगा
इतिहास पढ़ के देख लिया
अब इतिहास में अपना नाम
दर्ज करवाऊंगा...