मै कविता लिखता हूं
मै कविता लिखता हूं
हां...मैं कविता लिखता हूं.....,
जब दर्द को सह नहीं पाता
एहसासों को कह नहीं पाता
हां, तब मैं कविता लिखता हूं।
जब खुद को अंधेरों में तन्हा पाता हूं
खुद के ही जख्म सहला नहीं पाता हूं
सुनसान रातों में जब अश्क बहाता हूं
हां.....तब मैं कविता लिखता हूं
जब अकेला पन रास नहीं आता
किसी को अपना हाल बता नहीं पाता
जब खुद को बेज़ार पाता हूं
हां..तब पन्नों पर दर्द सजाता हूं
हां, तब मैं कविता लिखता हूं !