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Hridesh Paliwal

Drama Fantasy

4  

Hridesh Paliwal

Drama Fantasy

मै कौन हूं !

मै कौन हूं !

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भीड़ मै गुमनाम हूं तो कभी, सुनहरे सपनों की उड़ान हूं,

टूटते सपनों पर रोया हूं तो कभी नए सपने संझोया हूं।


मै कौन हूं !


अंधेरे से भागता हू तो कभी, रातो मै ढूंढता सुकून हूं,

झुलसती धूप से डरता हूं तो कभी पहली किरण को करता प्रणाम हूं।


मै कौन हूं !


उफनती नदी सा हूं तो कभी, झील के पानी सा शांत हू,

आवाम की आवाज हूं तो कभी, खुद मै मोन इंसान हूं।


मै कौन हूं !


बेफिक्री का आलम हूं तो कभी, फिक्र ए जमाने यार हूं,

राहों से भटका तो कभी, खुद को पाता मंजिल के पास हूं।


मै कौन हूं !


परेशान और बेबस हूं तो कभी, होंसला और बेवाक हूं

सख्त हूं और बेखौफ हूं तो कभी, सजदे मै माफी मांगता यार हूं ।


मै कौन हूं !

मै कौन हूं !


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