मै कौन हूं !
मै कौन हूं !
भीड़ मै गुमनाम हूं तो कभी, सुनहरे सपनों की उड़ान हूं,
टूटते सपनों पर रोया हूं तो कभी नए सपने संझोया हूं।
मै कौन हूं !
अंधेरे से भागता हू तो कभी, रातो मै ढूंढता सुकून हूं,
झुलसती धूप से डरता हूं तो कभी पहली किरण को करता प्रणाम हूं।
मै कौन हूं !
उफनती नदी सा हूं तो कभी, झील के पानी सा शांत हू,
आवाम की आवाज हूं तो कभी, खुद मै मोन इंसान हूं।
मै कौन हूं !
बेफिक्री का आलम हूं तो कभी, फिक्र ए जमाने यार हूं,
राहों से भटका तो कभी, खुद को पाता मंजिल के पास हूं।
मै कौन हूं !
परेशान और बेबस हूं तो कभी, होंसला और बेवाक हूं
सख्त हूं और बेखौफ हूं तो कभी, सजदे मै माफी मांगता यार हूं ।
मै कौन हूं !
मै कौन हूं !
