मुझे मत सताओ, में आग हु
मुझे मत सताओ, में आग हु
मै आग हूं तू जान ले,
अभी भड़का नहीं हूं तू मान ले।
सुलघने दे मुझे खुद मै ही,
ना दे हवा तू ध्यान दे,
मै आग हूं तू जान ले,
अभी भड़का नहीं हूं तू मान ले।
फिक्रमंद हूं अपनो का,
उनके बुने कुछ सपनों का,
सूलघने दे मुझे खुद मै ही,
ना दे हवा तू ध्यान दे।
मै खुद की तपिश मै,
तराशा हुआ हीरा हूं,
अपनों के चहरे की चमक हूं,
फिक्रमंदो के सर का ताज हूं।
देख मुझे, मै अपनी ही आग मै,
तराशी हुई तलवार हूं,
मै ही तो हूं जो अपनों पर आयी,
हरेक मुश्किल का काट हूं।
बंदगी मेरा धर्म है,
इंसानियत मेरी पहचान,
खुदी मै डूबा हुआ,
सिर्फ मै हूं एक इंसान ।
सुलघने दे मुझे खुद मै ही,
ना दे हवा तू ध्यान दे,
मै आग हूं तू जान ले,
अभी भड़का नहीं हूं तू मान ले।