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प्यार का एहसास

प्यार का एहसास

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सफ़र तेरे साथ हो तो, सहारा क्यों तलाशूँ

चल पडूँ बेफिक्र यूहीं , मंजिले क्यों तलाशूँ।


आज फिर पिरोए है ,कुछ अल्फ़ाज़ एहसास के धागे में,

तेरी आँखों को देखा जो दिल ने मुकम्मल एक गज़ल पढ़ ली।


सब कुछ खोकर मैंने खुद को, तुझमें पाया है ,

अब मुझे किसी भी , आइने की जरूरत नहीं।


चंद पन्नों में सिमटी थी , ये ज़िन्दगी मेरी ,

अब तेरे आने से शायद,,ये पन्ने शक्ल ए किताब ले लै।


वो हर वक़्त तेरे पास है , जिसकी तुझको तलाश है,

तू तो एक खिलौना है और चाभी उसके पास है।


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