मानवता
मानवता
क्या कहें उन लोगों को
जो मानवता के खिलाफ है।
भ्रष्टाचार और आतंकवाद का सहारा लेकर
कहते है अन्याय के खिलाफ जिहाद है।।
जो न्याय करते है
उनके साथ यह अन्याय करते है।
बेकसूरों की जान लेकर
कहते है यह न्याय है।।
निर्दयता को अपनी यह ताकत कहते है।
लाचारों की मौत मरने पर
उसे शहादत कहते है।।
न्याय करने वालों की
यह सांसें छीन लेते है।
न जाने फिर भी कैसे
सुकून की नींद सोते हैं।।
मानवता पर प्रहार कर
उसे नष्ट कराना चाहते हैं।
अपनी इन कूटनीतियों से
मानवता को भ्रष्ट कराना चाहते है।।
