Shriram Sahoo
Tragedy
पुत्र का
माता-पिता
के प्रति
यह
कैसा लगाव है ?
यदा-कदा
"वृद्धाश्रम"
आता-जाता रहता है।
कविता एक प्या...
हे अन्नदाता !
तुगलक
कुछ कविताएं
व्यंग्य क्षणि...
सेनेरयू
हाइकू
हुड़दंग
बसन्त पर हाइक...
समय/हाइकु
मत ले गहराइयों में हर बात को सुदर्शन, भले बुरे दिन अक्सर हरेक के चलते रहते हैं। मत ले गहराइयों में हर बात को सुदर्शन, भले बुरे दिन अक्सर हरेक के चलते रहते है...
तुम्हारी ही यादों का मोल भाव दुःख और सुख की वजह देती हैं।। तुम्हारी ही यादों का मोल भाव दुःख और सुख की वजह देती हैं।।
ना मोल तेरा है बिना मेरे “सिर्फ तू” बड़ी ह सस्ती है। ना मोल तेरा है बिना मेरे “सिर्फ तू” बड़ी ह सस्ती है।
संस्कार सनातन मानव के, दया सिखाते हैं। परहित जीवन भर करने का, मार्ग दिखाते हैं॥ संस्कार सनातन मानव के, दया सिखाते हैं। परहित जीवन भर करने का, मार्ग दिखाते ह...
हिंदुस्तान में चमका रहे वो शिक्षा की अजब दुकान। हिंदुस्तान में चमका रहे वो शिक्षा की अजब दुकान।
उस दिन भी ऐसी ही बरसात थी जो आपके जीवन की आखिरी बात थी। उस दिन भी ऐसी ही बरसात थी जो आपके जीवन की आखिरी बात थी।
बस खुद को पहचान कर चल पड़ेगा मन वो उमंग भरा। बस खुद को पहचान कर चल पड़ेगा मन वो उमंग भरा।
सैलाब में दर्द के रुकने का मौका नहीं देती सैलाब में दर्द के रुकने का मौका नहीं देती
छाले कितने पाँव में है कहाँ किसी ने देखा है लोग लगे हुए है यहाँ नीचे हमे गिराने में। छाले कितने पाँव में है कहाँ किसी ने देखा है लोग लगे हुए है यहाँ नीचे हमे गिरा...
कोई मरकर जिंदा रहता है तो कोई जीते जी ही मर जाता। कोई मरकर जिंदा रहता है तो कोई जीते जी ही मर जाता।
कार्य गति सब रुकी, विकास की चाल थकी, कार्य गति सब रुकी, विकास की चाल थकी,
बदनाम करते है लोग, बेनाम को नाम देते हुए बदनाम करते है लोग, बेनाम को नाम देते हुए
न्याय के लिए ही जारी है पूरी दुनिया में संघर्ष बलशाली अपनी जीत पर सतत मना रहे हर्ष। न्याय के लिए ही जारी है पूरी दुनिया में संघर्ष बलशाली अपनी जीत पर सतत म...
और जो इंसान भी ना बचा सको, संभाल के रखना अपनी साज सज्जा और भेष को। और जो इंसान भी ना बचा सको, संभाल के रखना अपनी साज सज्जा और भेष को।
राह की हर मुश्किल में बस तुझे ही अपनाना हैं ।। राह की हर मुश्किल में बस तुझे ही अपनाना हैं ।।
तुमने मुझे मझधार में जो अलविदा किया ! समझे कहां जाहील मुझ में जहन है तिरा। तुमने मुझे मझधार में जो अलविदा किया ! समझे कहां जाहील मुझ में जहन है तिरा।
एक-एक साँस से लड़ते हुए कर रही हार स्वीकार थी आँखें एक-एक साँस से लड़ते हुए कर रही हार स्वीकार थी आँखें
अब आगे क्या बोएगा और क्या काटेगा आने वाला कल तूझसे यही सब पूछेगा।। अब आगे क्या बोएगा और क्या काटेगा आने वाला कल तूझसे यही सब पूछेगा।।
जगती आँखों से नहीं थमति साँसों से मिलेगी ! जगती आँखों से नहीं थमति साँसों से मिलेगी !
जैसा जिसने बोया वैसा ही काटा यहां, बच्चों विधि के इस चलन को समझो। जैसा जिसने बोया वैसा ही काटा यहां, बच्चों विधि के इस चलन को समझो।