कुछ कविताएं
कुछ कविताएं
नदी
निर्पेक्ष व
समभाव से
दोनों कूलों को
सींचती जाती है...।
अंततोगत्वा...
दोनों तटों को
काट खाती है...।।
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(२)#कोमल अहसासों को
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उजड़ा चमन,उजड़ा गुलिस्तां
कौन ले आएगा बहारों को ।
मतलबी है दुनिया सारी जब
कोउ दे सहारा बेसहारों को।।
जीते जी ढोने की आदत अब
हो सी गई जिंदा लाशों को ।
कौंन तवज्जो देता है"अकेला"
इन कोमल अहसासों को ।।
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(३)एक मुक्तक
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शब्द ही लगाते मरहम,
शब्द ही करते घाव जी।
शब्द के अर्थ समझिए-
शब्दों के है बड़े भाव जी।।<
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(४)#एक नव गीत
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साजन की प्रीत ।
सजनी गाए गीत
साथ जो मिला तेरा
वक्त जाएगा बीत ।।
जुदा होकर तुमसे
रहना भी हो कैसे ?
एक छोर हो तुम
मैं दूजा मनमीत ।।
एकप्राण दो तन,
मिले जबसे नयन ।
सङ्ग जियें सङ्ग मरें
यही जीवन की रीत।।
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(५)#मैं और तुम
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मैं
तुमको
मैं
बनाना
चाहता हूं.।
तुम
मुझे
तुम
बनाना
चाहते हो..।
बनाने के
इस
चक्कर में
ना तुम
तुम रहे
और
ना ही
मैं
मैं रहा...।