व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
कुत्ता
स्वामी भक्त
ईमानदार व
वफादार होता है
आदमी
कोई
कुत्ता नहीं,जो
"वफादार"
बन जाए
(२)#दम
उनकी
नेतागिरी में
काफी दम है
किसी का भला,
नहीं कर सकते
तो क्या हुआ?
बिगाड़ने में तो
सदा सक्षम हैं
(३)#भीड़तंत्र
कहते हैं
बहुमत में
बड़ी ताकत
होती है
पर सुनते-देखते हैं
"भेड़िया धसान"
चाल, इसकी खास
आदत होती है
(४)#आरोप
राजनीति में वे
झूठे आरोपों से
तनिक भी?
नहीं घबराते हैं
क्योंकि---
वे स्वयम भी
ऐसे ही आरोप
दूसरों पर अक्सर ही
लगाते रहते हैं
(५)#हवस
धन-दौलत की
हवस ने उन्हें
इस कदर
ऊँचा उ
ठाया
अंततः
गिरे हुए
ऊंचे लोगों में
नाम लिखाया
(६)#नेता
आजकल
के "नेते "
#जनसेवा#
भी,मुफ्त
नहीं करते
(७)#सिपाही
वे
पार्टी के
निष्ठावान
सिपाही हैं
देश के लिए
तबाही हैं
(८)#समदर्शी
वे
बड़े ही
समदर्शी हैं
उनकी
दृष्टि में सब
(योग्य-अयोग्य)
एक जैसे हैं
(९)#जागरूक
आजकल
वे लोग बड़े ही
"जागरूक"
कहला रहे हैं
जनता को जो
ज्यादा से ज्यादा
"बेवकूफ"
बना रहे हैं
(१०)#सूक्ष्मदर्शी
वे बड़े ही
सूक्ष्मदर्शी
कहलाते हैं।
राई को पहाड़
और
तिल को ताड़
दिखाते हैं।