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Shriram Sahoo

Abstract

2.9  

Shriram Sahoo

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व्यंग्य क्षणिकाएं

व्यंग्य क्षणिकाएं

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कुत्ता

स्वामी भक्त

ईमानदार व

वफादार होता है

आदमी

कोई

कुत्ता नहीं,जो

"वफादार"

बन जाए


(२)#दम


उनकी

नेतागिरी में

काफी दम है

किसी का भला,

नहीं कर सकते

तो क्या हुआ?

बिगाड़ने में तो

सदा सक्षम हैं


(३)#भीड़तंत्र


कहते हैं

बहुमत में

बड़ी ताकत

होती है

पर सुनते-देखते हैं

"भेड़िया धसान"

चाल, इसकी खास

आदत होती है


(४)#आरोप


राजनीति में वे

झूठे आरोपों से

तनिक भी?

नहीं घबराते हैं

क्योंकि---

वे स्वयम भी

ऐसे ही आरोप

दूसरों पर अक्सर ही

लगाते रहते हैं


(५)#हवस


धन-दौलत की

हवस ने उन्हें

इस कदर

ऊँचा उठाया

अंततः

गिरे हुए

ऊंचे लोगों में

नाम लिखाया


(६)#नेता


आजकल

के "नेते "

#जनसेवा#

भी,मुफ्त

नहीं करते


(७)#सिपाही


वे

पार्टी के

निष्ठावान

सिपाही हैं

देश के लिए

तबाही हैं


(८)#समदर्शी


वे

बड़े ही

समदर्शी हैं

उनकी

दृष्टि में सब

(योग्य-अयोग्य)

एक जैसे हैं


(९)#जागरूक


आजकल

वे लोग बड़े ही

"जागरूक"

कहला रहे हैं

जनता को जो

ज्यादा से ज्यादा

"बेवकूफ"

बना रहे हैं


(१०)#सूक्ष्मदर्शी


वे बड़े ही

सूक्ष्मदर्शी

कहलाते हैं।


राई को पहाड़

और

तिल को ताड़

दिखाते हैं।


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