कविता एक प्यास है
कविता एक प्यास है
किसी राजनीतिक पार्टी का
कोई आकर्षक नारा नहीं
कि उछाल दिया हवा में
और आ जाए मनमाफिक क्रान्ति
किसी मेडिकोज की
कोई टॉनिक नहीं कि
पीला दिया मरीज को
और रोगी हो जाए व्याधिमुक्त।
रोटी का टुकड़ा भी नहीं
कि खिला दिया भूखे को
और क्षुधा हो जाए शांत/छूमन्तर।
शराब की बोतल भी नहीं
जो पी लिया ग़म
भुलाने को एक जाम।
पानी का एक ठण्डा गिलास
तो हो सकती है,
पर चाय की प्याली नहीं,
जो चुस्कियाँ ले-ले पीओ
बेड-टी के समान
और दिल हो जाए खुश
या हो जाए मूड-फ्रेश।
तब सवाल उठता है कि
क्या है आखिर कविता।
सिर्फ एक नशा है, प्यास है
अतृप्त प्यास कि
इसे जितना पीओ
और भी बढ़ती जाती है प्यास
बस प्यास ही प्यास
चीज ही ऐसी है जो,
बार-बार पीने को
इच्छा करती है।