लेकिन
लेकिन
तुम हो तो ये प्यार की बसंत है,
तुम नहीं हो तो प्यार की पतझड़ है,
तुम हो तो मेरे जीवनमें बहार है,
लेकिन तुम नहीं हो तो शोक का आलम है।
तुम हो तो ये शाम मस्तानी है,
तुम नहीं हो तो ये शाम वीरानी है,
तुम हो तो चांदनी पूनम की है,
लेकिन तुम नही हो तो रात अमावस्या की है।
तुम हो तो ये दील धड़कता है,
तुम नहीं हो तो दील पथ्थर जैसा लगता है,
तुम हो तो मुख पर स्मित रहेता है,
लेकिन तुम नहीं हो तो आंखे आंसु बहाती है।
तुम हो तो ये महेफ़िलमें रंगत है,
तुम नहीं हो तो ज़ाम फिक्की लगती है,
तुम हो तो मेरी कलममें जान है "मुरली",
लेकिन तुम नहीं हो तो कलम ही सूमशान है।