ले दे के अपने पास
ले दे के अपने पास
ले दे के अपने पास।
फक़त एक नज़र ही तो है।
क्यूं देखें ज़िंदगी को।
किसी की नज़र से हम।
रब ने रहमत बख़्शी है।
एक ही ज़िंदगी दी जो है।
क्यूं उस ज़िंदगी को भला।
किसी गैर के लिए जीये हम।
खुशियाँ भी कमाई हैं हमने।
ग़म भी पाएं हैं तो क्या हुआ।
क्यूं न खुशियों को याद करें।
नहीं भूलते हैं क्यूं सारे ग़म।
दौलत शोहरत पैसा कमाया।
नाम भी तो हमने कमाया है।
क्यूं एक बुरे किस्से के आगे।
पड़ जाते हैं ये सब कम।
आँखों ने देखे नज़ारे बहुत से।
चमकी हैं ये आँखें खुशी से।
क्यूं किसी दुख को देखें ये।
जो ये आँखें हो जायें नम।
इस दुनिया में अकेले ही।
सब आएं है तो क्या हुआ।
क्यूं हमेशा अकेले है रहना।
किसी को बना लें हमदम।
कभी लगता है कि काफ़ी नहीं।
एक ज़िंदगी जीने के लिए।
क्यूं न दुआ मांग लें रब से।
मिल जाये एक और जनम।
