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Amit Singhal "Aseemit"

Romance Classics Fantasy

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Amit Singhal "Aseemit"

Romance Classics Fantasy

क्या सखि साजन ?

क्या सखि साजन ?

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शरीर है नई उजली किरण।

स्वभाव इसका जैसे हिरण।

वाणी मधु जैसे हो गायक।

क्या सखि साजन ? ना सखि नायक।


सजाऊं इसे मैं सुबह शाम।

इसके बिन होता नहीं काम।

स्नेह कर आता मुझे तेवर।

क्या सखि साजन ? ना सखि ज़ेवर।


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