क्या लिखूं
क्या लिखूं
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तुम को लिखूं कि तुम्हारी याद लिखूं
भाव लिखूं कि भावनाएं बेबाक लिखूं
निर्माण में निर्वाण में काल में भाल में
खाक लिखूं कि सुलगती आग लिखूं
न दीप है न सूरज है न चाँद न तारे हैं
रात लिखूं कि उजाले की बात लिखूं
किताबों में जिनके किरदार नहीं मिलते
उनके मंसूबे लिखूं कि उनके घाव लिखूं
माना कि हम तुम्हारे हैं तुम हमारे ही हो
अंजाम जुदाई लिखूं कि सिर्फ मुलाकात लिखूं।