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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

कोरोना

कोरोना

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आँसू जल रहे है

आँख रो रही है

ये कोरोना की,

कैसी महामारी हो रही है


दूध का रंग बदला है

पानी भी आज गंदला है

ये कैसी फ़िज़ा में,

दूषित हवा हो रही है


ये कोरोना की,

कैसी महामारी हो रही है


सब्र से तू काम ले

घर पर पैर तू थाम ले

ये बीमारी छूत की है,

सब्र से ये कम हो रही है


काम ले तू सेनेटाइजर

हाथ धोता रह बार बार

ख़ुद की अक्लमंदी से,

धीरे-धीरे ये बीमारी खो रही है


ये मास्क और साफ़ सफाई से

कोरोना की गिनती कम हो रही है


लोकडाउन का पालन करो

कुछ दिन थोड़ा खर्च कम करो

हम हिंदुस्तानियों की एकता से,

ये कोरोना की महामारी पस्त हो रही है



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