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Kanchan Prabha

Horror Tragedy Thriller

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Kanchan Prabha

Horror Tragedy Thriller

कोरोना के चिता की गर्मी

कोरोना के चिता की गर्मी

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गर्मियों की चिलचिलाती धूप में 

कोरोना मरीज चिता के रूप में 


बहुत डरावना मौत का तांडव

परिजन भी ना लेते है शव


लोग छुपे थे अपने घर में 

तपते पाँव डगर डगर में 


शहर मेें बरपा सन्नाटा था

हॉस्पिटल मरीजों से पटा था


बेड की कमी थी ऐसी आई

सबके चेहरों पर उदासी छाई


कितना भयानक साल था आया

लोगों के मन भय था समाया


खिड़की सारे बन्द पड़े थे

लाशो से शमशान भरे थे


आक्सीजन की कमी थी आई

सबकी आँखों में नमी समाई


बड़ा भयावह रूप दिखाया

देश पर भारी सा संकट छाया


लोग कर रहे उपाये अनोखे

कोरोना फिर भी देता धोखे


अपनो से मिलना हुआ मुश्किल

बन्द विद्यालय दुकानें भी सील


किस वस्तु में छिपा कोरोना 

सब्जी को भी खूब है धोना


इन्सान कुछ ऐसे थे पागल

मास्क ना लगाते एक भी पल


कितना सबको समझाए कोई

बाहर मत जा अम्मा रोई


आखिर कितना करे सरकार

कुछ समझो ऐ जनता मेरे यार


काश कोरोना जल्दी भागे

तोड़ के सबसे वायरस के धागे


जिसने इतने जीवन किये बर्बाद

हर गर्मी मनहूस आयेगी याद।


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