कोई तो रोको न
कोई तो रोको न
कैसी ये उलझन है
दिल में छुपे सारे ग़म हैं,
थमती नहीं क्यों बरसातें
कोई तो इनमें रोक लगा दे,
अब क्या बचा पास मेरे
सब ले लिया अब तो तुमने,
अब भी चैन तुम्हें न आए
क्यूँ कर रहा मुझपर सितम तू,
अब कुछ न मुझे समझ में आए
क्या हालत मुझसे चाहे।