सुहाना सफर
सुहाना सफर
सफर तेरा सुहाना था
दूर कहीं जाना था,
जिज्ञासा तेरी चर्चाओं का
रूबरू करवाना था,
रोशनी तेरी खूबसूरती की,
दूध की धारा थी,
भव्य ये चादर में
नीले ये सागर थे,
पेड़ों की गोद में,ल
पत्तियों की छांव थी,
हवाओं की लहर में
सोंधी ये खुशबु थी,
रूप तेरा देख के
नयन ये अचंभित थे,
गौरव ये मन हुआ,
ह्रदय मेरा प्रसन्न हुआ ।

