"खामोशी"
"खामोशी"
जो खामोश है तू, तो खामोश हूँ मैं,
ना तू कुछ कहे, ना कुछ कह सकूं मैं,
टूटा हो जैसे तारा गगन में,
टूटी हुई सी, है वैसी ही हिम्मत,
टूटा हुआ दिल,है फूटी सी किस्मत,
हूँ रूठा मैं खुद से,
हूँ छूटा मैं सब से,
हूँ टूटा मैं जब से,
हूँ तन्हा मैं तब से,
मंडरा रहे हैं, ये बादल 'रवि' पर,
छुप गया हूँ, पर डूबा नहीं हूँ,
करले सितम ए जमाने तू जी भर,
जी रहा हूँ, पर ऊबा नहीं हूँ।