समय-समय की बात
समय-समय की बात


समय-समय की बात है
जब उन्हें तुम्हारा ध्यान चाहिए
उनसे ज्यादा फिक्र
तुम्हारी किसी को कहाँ होगी
और जब साथ मिल जाए
तो वही चीजें
अनदेखी कर दी जाती है
जो न मिले उसकी इच्छा
ध्यान रखते थकते नहीं
और जब मिल जाए
साथ उसी का
तो उसी को वह
जानते नहीं,
अजीब रीत है
ये जहाँ की भी।