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Rajiv Jiya Kumar

Romance

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Rajiv Jiya Kumar

Romance

आवारा दिल

आवारा दिल

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न था कुछ बोलने वाला

सनम तुम छम से उतरे

दिल से दिल में हमारे

अब तो दिल अपना भी

तुम्हें दुुुलारता बस ईक बंंजारा है

दिल अपना भी आवारा है।।

सनम मेरे सनम 

वश मेें तेरे बस रह गए हम 

हर तान की खनकते सरगम 

तुम्हीं तुुम हो,तुम्हीं तुम हो

वजूद की मेरी हर धङकन 

तुम्हीं तुम हो,तुम्हीं तुम हो

हो जानम तुम मेरी जान जान लो

तुम्हीं चाहत,तुुुुम्हीं राहत यह मान लो

प्रीत तेरी कर गया नकारा है

दिल अपना भी आवारा है।।

मिल जाए तेरी ईक झलक 

चैन कहाँ बस ईक यह ललक

फलक फलक पर बसती हो

जां को जान क्यूूँ तरसाती हो

इश्क के तेरे इसी जुनून ने

मुझ दीवाने को क्या खूब संंवारा है

दिल अपना भी आवारा है।।

दिल आवारा को क्या कहें

जुदाई तेरी कब तक कैसे सहे

लेकर डोली तेरे घर आऊँगा

सजन श्रृृंगार सोलह कर लो 

साथ अपने तुम्हे ले जाऊँगा

हसरत होगी पूरी तब सब

मन तन को यही दुुुुलारा है

दिल अपना भी आवारा है।।

             


 

 


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