कोई नहीं आता
कोई नहीं आता
दर्द में कराह रहे वो,
सूर्य तभी डूब जाता,
आतुर हो मन मिलन,
तब कोई नहीं आता।
गरीबी के दिन देखे,
दाना घर नहीं पाता,
भूख में व्याकुल हो,
तब कोई नहीं आता।
अंतिम सांसे गिनता,
लगता बुजुर्ग बेचैन,
मिलने को वो तरसे,
तब कोई नहीं आता।
सूख गई आंखें तक,
कुछ भी नहीं सुहाता,
एक दर्शन को प्यासा,
तब कोई नहीं आता।
डूब रहा वो पानी में,
सहारा नहीं वो पाता,
असहाय भी हो जाता,
तब कोई नहीं आता।
अनाथ हो गया बच्चा,
खाना नहीं मिल पाता,
ढूंढे किसी को आंखें,
तब कोई नहीं आता।
युद्ध में सैनिक घिरा,
अपने को वो बचाता,
परंतु घिरा दुश्मनों से,
तब कोई नहीं आता।
अंधेरे से आई चीख,
दबी सिसक सिसक,
बहुत पुकारा उसने,
तब कोई नहीं आता।
आग से घिर गया वो,
अग्निशमन खो जाता,
जल जल के मरा वो,
तब कोई नहीं आता।
भूकंप में भाग रहे थे,
दबकर कुछ मारे गये,
कोई रास्ता ना सुझाता,
तब कोई नहीं आता।
भगदड़ मची भीड़ में,
कोई खूब चिल्लाता,
अपने को बचा रहे थे,
बचाने ना कोई आता।।
