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Sourabh Suryawanshi

Drama Classics Inspirational

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Sourabh Suryawanshi

Drama Classics Inspirational

कलम का सफर

कलम का सफर

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जब आंखों से आंसुओं का दरिया बहने लगता है

तब दिल से कलम तक का सफर यूं ही तय हो जाता है

जब नटखट 'आर्यन' का कोई करतब होठों पर हंसी सजाता है

तब अनायास ही दिल से कलम तक तक का सफर तय हो जाता है


जब छोटी सी 'प्राची' का हंसी ठहाका याद आता है

तब दिल से कलम तक सफर यूं ही तय हो जाता है

जब 'किशा' का याराना याद आता है

तब दिल से कलम तक सफर यूं ही तय हो जाता है


जब सतीश 'भ्राता' श्री का कोई संदेश बहुत हंसाता है

तब दिल से कलम तक का सफर यूं ही तय हो जाता है

जब पापा से बिन बोले ही समोसा बाजार से आ जाता है 

तब दिल से कलम तक का सफर यूं ही तय हो जाता है


जब दिल कुछ समझ नहीं पाता है

तब दिल से कलम तक का सफर यूं ही तय हो जाता है।


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