कलाम तुम फिर से आना
कलाम तुम फिर से आना
दिल से सभी चाहते हम
भारत को भूल न जाना
कोशिश जरूर ही करना
मौका मिलते ही आना
कलाम तुम फिर से आना !
अब के तुम शिक्षक बन आना
शिक्षा देना हमें धर्म की
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
किसको पीड़ा अधिक मर्म की
कौन बड़ा, छोटा समझाना
सबको अंक थमाना
फिर भी जब कोई न माने
तब दर्पण दिखलाना
कलाम तुम फिर से आना !
सभी भारतीय बाट जोहते
कुछ कहना, कुछ सुन जाना
जो जैसी भाषा में समझे
उनको वैसे ही समझाना
कुछ तो पीर फकीर मान के
सुनने के इच्छुक होंगे
ज्यादा ऐंठ दिखाये जो
उसे कान ऐंठ समझाना
कलाम तुम फिर से आना!
सब कर्मो की अलग मंज़िलें
सही डगर दिखलाना
रामेश्वरम से दिल्ली कैसे
पहुँचे फिर समझाना
और एक दिन इसरो जाना
मिसाइलें नयी बनाना
चाँद से आगे कैसे पहुँचे
ये तकनीक बताना
कलाम तुम फिर से आना !
हम सबकी खास इच्छा है
संसद तक ज़रूर आना
नहीं चाहकर भी कुछ दिन
नेताजी तुम बन जाना
शीर्ष पहुँच कर कक्षा लेना
ऐसी अक्ल सिखाना
संसद को मंदिर ये समझें
ना खैरात खजाना
कलाम तुम फिर से आना !
धर्म जाति अति, भाईचारा
कम दिखता संगत में
ग़लती से भी गले न मिलते
चलें अलग पंगत में
अपने जैसी और बानगी
कुछ अवश्य ले आना
सफल सादगी कैसे होती
राज खोल समझाना
कलाम तुम फिर से आना !