इट्स मैजिक-अ समर इवनिंग
इट्स मैजिक-अ समर इवनिंग
अभी कुछ देर पहले ही तो,
फेरी वाला दादा वो,
लाइट और कलर बेचता,
पसीने में थक, सुसुम हुआ था।
और दिन सारे का
फ्री गिफ्ट आइटम गुलाल
छिड़कता,
दूर किसी हरे बाथ टब में
नमकीन होने को उतरा ही था…
कि कुछ ही देर में उस गुलाल के
झड़ते ही एक खरगोश-धुँधला,
साँवला, नकाबपोश,
एक क्रीम काँच के
चमकीले जार के भीतर से
निकलने के प्रयास में,
डुगरता हुआ अपनी बिल से
सरेआम आया बेसहारा
मगर उस जार की गोलाई में
फिसल, निकल न पाया
आखिर बेचारा।
ठीक उसी वक्त भेष बदलता,
कोई स्मग्लर डार्क मेकप करता
वहाँ से गुजर रहा था
कि अचानक उसके ओवर कोट से,
गिर हीरे के असंख्य टुकड़े,छितराए,
टिमटिमाए।
इसपे तुरन्त एक ओर से पुलिस की
झींग...झींग....सायरण बज उठी।
उस अविरल सायरण की
तीखी शोर से,
इरिटेट होकर मैं,
कुछ दूर-‘द ग्रीन बुश क्लब’
आ पहुँचा।
लोकल सितारों का,
जमीं के तारों का
ऑल ग्रुप डांस प्रोग्राम
‘द ग्रेट गैलेक्सी शो’ चालू था जहाँ।
झिहिर-मिहिर परोसी जाने वाली
भांग की नशीली ठण्डई,
जो झर-झर करता
एक झज्झड़ मगर‘कूल रेफ्रिजिरेटर’
से हो रही थी सप्लाई
मेरे जैसे गेष्ट ऑडिएंस की
सेवा में थी, मैंने खाई।
उनका शो देख नशे में
लौट रहा था कि रास्ते में
किसी कॉस्मेटिक की दुकान से
आती एक खुशबू ने
और किया मदहोश
लगा आ पहुँचा हूँ ‘फिरदौस’।
मैंने वहाँ मंडराते हुए कुछ
ग्राहकों से की पूछताछ।
तो गुनगुनाया उन्होंने मेरे कानों में कि,
अभी-अभी मायावी ‘निशा जी’,
रजनीगंधा परफ्यूम ‘स्प्रे’ कर
निकली हैं भाई
और इन्हीं दुकानों से गुजर,
ये जादू बिखरेती हैं छाई।
उनके जादू के जवाँ होने का है असर,
कि ये सारा खेल रहा है पसर।
वॉव!
उनके इस जादू से हो इम्प्रेस मैं,
महाजादूगरनी जी की हो जय!
कह, ग्राहकों में हुआ शामिल,
लगा खो गई हर मंजिल।
और भी गुम हो जाने की ख़्वाहिश में,
मांगा निशा जी से, विश में,
कि काश ये जादू कभी न हटता,
काश ये नशा कभी न छँटता
सहग्राहक रंगीं आ जुड़ता
फेरीवाला अब इस गली न मुड़ता।