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Anjali Rishabh Nalwa

Drama Fantasy

2.4  

Anjali Rishabh Nalwa

Drama Fantasy

बस फिर चाँद मेरा दोस्त बन गया.

बस फिर चाँद मेरा दोस्त बन गया.

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रात देखा आसमाँ,

तो चाँद यूं आया नजर,

बोला मुझसे - छोड़कर सब

देखती तू क्या इधर ?


क्या है तेरे दिल में,

वो बतला जो दे तू गर मुझे,

शायद तेरी खुशी और

गम का बन जाऊँ मैं हमसफर।


मैंने बोला - देख कोशिश कर न

तू मुझे पाने की,

वाकिफ हूँ मैं अच्छे से

इन फितरतों से जमाने की।


मेरी किस खुशी में खुश

और गम में दुःखी होगा तू,

ये हैं सारी साजिशें

तेरी मुझे फंसाने की।


सच है हाँ के तू है

सबसे प्यारा इस जहान में,

तेरे जैसे खूबसूरत

रहते हैं अभिमान में,


पर कर न तू गुमान

अपने इस सुहाने रूप का,

गलत है तेरा समझना -

हूँ अभी नादान मैं।


चाँद बोला हँस के -

पगली सोचती कितना है तू,

बोल मोल सबके सुन के

तोलती कितना है तू !


मैंने तो बस यूं ही कर दी

बात तेरे साथ की,

करता हूँ मैं सबसे,

कोई बात नयी नहीं आज की।


हाँ फर्क बस इतना के

सब जवाब यूं करते नहीं,

पर सुन ले कोई हमको तो

बातों से हम डरते नहीं।


बात करके तूने मुझसे

दोस्ती की पहचान दी,

दोस्ती से बढ़कर के क्या

कीमत रही कभी जान की ?



हूँ मैं इतनी दूर

तेरे पास आ सकता नहीं,

बस दो घड़ी हँसने को

क्या एक दोस्त पा सकता नहीं ?


चाहिए एक दोस्त जिससे

खुशी और गम को बाँट लूँ,

अकेलेपन को छोड़कर

मैं भी नया एहसास लूँ।


हाँ गर तुझे लगता है के

मैं झूठ हूँ सच्चा नहीं,

तो सुनना अपने दिल की

करना जो लगे अच्छा वही।


मेरा क्या है,

मैं तो बस एक दोस्त था तलाशता,

सोच लूँगा जैसे

भटक गया था कोई रास्ता।


सुन के बातें चाँद की

सच्चाई मुझको दिख गयी,

की ना देर पल की भी

बस दोस्त उसकी बन गयी।


यहीं से बस शुरू हुआ

ये दोस्ती का सिलसिला,

खुश हूँ आज मैं के

दोस्त चाँद सा मुझे मिला।


नजर हमारे रिश्ते को

कभी न लगे किसी की भी,

छोड़कर ना जाना

मेरे दोस्त मुझको तू कभी।


अब रात के घने साये में

मेरा वही सहारा है,

देखो-देखो कितना प्यारा

रिश्ता ये हमारा है...।।


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