STORYMIRROR

Gurpreet Kaur

Fantasy Inspirational Others

3  

Gurpreet Kaur

Fantasy Inspirational Others

लफ़्ज़ों की तकरार

लफ़्ज़ों की तकरार

2 mins
247

गाँव की गोदे कान का मसला है मियाँ,

तर्जुमा से पढ़ना 

इन शोक हवाओं का रुख़ है ऐसा

इन्हें बेरुख मत करना।


दरिया के उस पार बिकती होंगी शराब की कई बोतलें,

तुम मेरी इस सभा की और मत फेंकना।

होगा सच का तुम्हें घमण्ड 'मनसूर' की तरह ,

तुम मेरे सच को जाने बिना कोई भी फ़ैसला मत करना।

होगी बुलंद आवाज़ तुम्हारी इस शोरगुल में भले ही,

तुम मुझे कमज़ोर समझने की भूल मत करना।


कुछ दिनों से बेचैन थी तो क्या हुआ?

तुम खामोशी को मेरी हार मत समझना ।

अगर तुम इन अँधियारों से उनकी औक़ात पूछ बैठे हो,

मेरे सामने तुच्छ परछाई की अकड़ मत करना।

उठा कर काग़ज़ और पेन जब लिखने बैठ जाऊँ,

तुम शिकवे और शिकायतों का इजहार मत करना।


आता है मुझे भी हर लहजे में अपनी बात को कहना ,

तुम शीशे और दरार का जिक्र मत करना।

अब लिखूँ तुम्हारे बारे में और बहुत कुछ भी,

हो सके तो अगली 'रचना' में इसका जिक्र ज़रूर करना।


होगा अब यह खेल ज़ुबान का नहीं लिखने का ,

तुम मेरे जवाब का इंतज़ार ज़रूर करना।

पकते होंगे रसोई में हज़ारों पकवान भले ही,

तुम लिखने की खुराक की फिक्र ज़रूर करना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy