" मधुर की मधुप्रीया "💓
" मधुर की मधुप्रीया "💓
गर तुम कवि हो ...
सच्चे प्रेमी हो तो...
कभी अपनी प्रेमिका की ...
सच्चे दिल से तारीफ़ कर लिया करो ।।
कुछ उनकी अदाएं, रूप, खासियत को
श्रृंगार रस से शब्दों को सजा दिया करो
तभी तो ये प्रेम का रंग...
और भी ज्यादा निखर जाए ।।
जो प्रेम दिल में छुपी है ...
कभी उनको साझा कर दिया करो
उनको कभी जुबां पे लाया करो ।।
प्रेम के परिंदा को कभी अपने
पंख को ऊंची उड़ान भरने तो दो
यूं अपने प्रेम को गूंगे बहरे की तरह
ख़ामोशी में ख़ामोश ना किया करो ।।
मधुर से माधुरी तक ...
माधुरी से माधुप्रिया तक ....
मधुर प्रेम की मधुप्रिया बन जाऊं ....
मधुर की मधुप्रिया हूं मैं ...
मुझे अपने सीने से लगाया करो ..
अपने बाहों में बांध के रखा करो ।।
जो प्रेम कहानी हमारी बनेगी...
वो सयद कुछ नयाब की लिबास में
और भी खूबसूरत बन जाएगी
कुछ तो कहानी प्रेम की लिखी जाएगी ।।
प्रेम किताब के सारे पन्ने अब ...
प्रेम के रंग से अंकित की जाएगी
कुछ तो अनोखी कहानी बनेगी
मधुर की माधुरी अब मधुप्रिया बन जाएगी ।।
कवि की भावनाएं और कविता के
अलंकार का ...
कुछ अजीब सा खुशनुमा दिव्य जोड़ी बनेगी
जो एक दूजे के बिना नीरस लगते हैं
बेजान लगते हैं ।।
हां ये मेरा हसीन ख़्वाब हैं
इन्हें ईश्वर ही अब पूरा करें
हमारे होंठ अब चुप सा हो गया है
अब जो कुछ होना है हो जाए ।।
हमारे दिल में आप रहते हैं
उन्हीं से हम दिल ही दिल में
प्यार बहुत कर लेते हैं ।।
जितनी दुःख तकलीफ़ परेशानियां
हमें मिलीं इन सफ़र में अकेले ...
जो घाव है दिल में आपके कारण
अब आपका बेशुमार प्यार खयाल
वफ़ा ही इससे सूखा पाएगी
आपका प्यार और बहुत सा प्यार
हमारी ज़िन्दगी को सारे रंगों से भर देगा ।।
आपके प्यार वफ़ा के रंग में
हम रंग जाना चाहते हैं
हमारे बीच अब सिर्फ प्यार हो
ना हो कोई दूसरा ना हो कोई दुनिया ।।
हमारे पास सब कुछ है
नहीं है तो वो सिर्फ आप ही हैं
कुछ भी कमी नहीं है हमारे जीवन में
हमें सिर्फ सच्चा प्यार वफ़ा चाहिए
एक सच्चा ईमानदार जीवनसाथी
हमसफ़र का साथ चाहिए .....
आप ना मिले तो भी कोई
ग़म ना होगा हमें
हमें अकेले जीने की आदत है
अकेले जी लेंगे हम आपके बगैर ....
अब सब कुछ ईश्वर जी के ऊपर हैं ।।

