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मेरा भारत

मेरा भारत

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बारिश की सुबह मेंढकों के हुजूम को टर्र-टर्र करते देखा है,

गाय, बकरी, भैंस जैसे जीव जंतु की जनसँख्या को इंसानो से ज्यादा देखा है,

अमरुद शहतूत जैसे फलों के असली स्वाद को मैंने देखा है,

इतनी हरियाली में मोर बंदरो को इंसानो के बीच भी बिना डर के रहते देखा है,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


नंगे पैरों से बेझिझक कंकड़ पथरों पर लोगों को चलते देखा है,

बारिश में कीचड़ की परवाह किये बिना बच्चों को अठखेलियां करते देखा है,

कंचे, गोटी, लंगड़ी जैसे खेल-खेल में उनको मिट्टी में लोट-पोट उन्हें, हाइजीन की फ़िक्र करते नहीं देखा है,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


घरों में टॉयलेट होते सबको खेत जाते देखा है,

ऊंच नीच और छूत अछूत को मैंने पनपते देखा है,

आठवीं के बाद लड़की को पढ़ने में अड़चन पैदा करते लोगों को मैंने देखा है,

हर महीने तबियत खराब होते ही उनको गलियारे में रहते मैंने देखा है,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


हर कोई किसी को जनता है ऐसा बमुश्किल माहौल मैंने देखा है,

घर के बुजुर्गो को बहार चार पाई पर दिन गिनते मैंने देखा है,

नदियों को जीवनदायनी का नाम जायज़ करते मैंने देखा है,

घरो के पीछे नदी बहते जो दृश्य बनाते थे कॉपी में, उन्हें अपनी आँखों से देखा है ,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


गली के कुएं पर काम करते महिलाओ की महफ़िल लगते देखा है,

घूँघट कर दूसरो से, पति का नाम न लेते देखा है,

औरत को सुबह से रात को एक कर के काम करते देखा है,

घरो में शादियों सगाइयों को होते मैंने देखा है ,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


सेहत की सुरक्षा और बीमारियों से जूझते मैंने लोगों को तड़पते देखा है,

बिन ज्ञान के आज भी झाड़-फुंक के पीछे पड़ते मैंने लोगों को देखा है,

गरीबी को इंसान नहीं, इंसानो को गरीबी चुनते देखा है,

दारु, जुआ खेल घरो को उजड़ते देखा है

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


फिर कही किसी महिला को अंग्रेजी में दस्तखत करते देखा,

गांव के लड़के को c/c++ पढ़ते देख खुद को खुश होते मैंने देखा है,

स्ट्रीट लाइट में किताबे लिए उन्हें पढ़ते, उम्मीद और ख्वाईशो को आँखों में भरते देखा है,

लोगों को बिना मुखौटे लगाए मैंने बड़े साल बाद देखा है,

इनके बीच रहकर मैंने 10 रूपए की अहमियत को देखा है,

हाँ मैंने असली भारत देखा है।


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