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आशीष पाण्डेय

Fantasy

3  

आशीष पाण्डेय

Fantasy

एहसान हन्ता

एहसान हन्ता

2 mins
160


अचानक झुरमुट से निकला देखकर वह चौंककर पीछे की तरफ़ शरीर के अंगों को संचालित किया और स्तब्ध रह गया क्योंकि उसके सम्मुख उसका प्राण घाती खड़ा था

सहायता के लिए उसकी आंखें किसी की राह निहार रही थी किन्तु उस घने जंगल में उसकी रक्षा धर्म के अलावा और कौन करता शायद कोई नहीं।

पूर्ण चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ नील सरोवर में कमल के सदृश खिला हुआ अपनी पंखुड़ी को फैलाता हुआ वह धीरे-धीरे पत्ता रुपी कंटक से बचते हुए पग बढ़ा रहा था नील सरोवर इसके स्वागत के लिए अपने अन्दर छोटे-छोटे सुमन बिछाते हुए स्वयं के साथ रात्रि को शोभित कर रहा था प्रकृति सुन्दरता को धारण कर रही थी और इधर उसका प्राण संकट में पड़ा था भेड़िया इन्तज़ार में था कब ये सामने पड़े कंटक से इधर उधर हो कि मैं इसे अपना ग्रास बना लूं। विचार में पड़ा वहीं खड़ा देख रहा था कि सहसा गम्भीर गर्जना हुई और सिंह का आक्रमण हुआ भेड़िया भागने लगा तो हिरन कहता है ठहरो भाई भागो मत सिंहराज मेरे मित्र हैं आपको कोई हानि नहीं पहुंचाएंगे।

मेरा वचन है वो मेरे मित्र न होते तो मैं भी तुम्हारी तरह भागती किन्तु देखो मैं नहीं भाग रही हूं उसकी बात सुनकर भेड़िया सोचकर रुक गया शेर आया उसने हिरण से कुशलता पूंछकर भेडिये के ऊपर झपटने के लिए उद्यत हुआ कि हिरण बोल पड़ा ठहरो मित्र ये भी मेरे मित्र हैं इन्हें मत मारो शेर हिरण की बात सुनकर बोला ठीक है मित्र तुम कहते हो तो छोड़ देता हूं और मैं अब चलता हूं कोई दिक्कत तो नहीं है हिरण बोला नहीं मित्र मैं ठीक हूं अपना प्राण पहले संकट में था धर्म से बाध्य होकर उसने उसकी रक्षा की शेर चला गया तो भेड़िया उस पर आघात करने के लिए विचार करने लगा और झपट पड़ा तो हिरण बोला मित्र तुम मुझे अब क्यूं मारना चाहता हो जबकि मैंने तुम्हारा प्राण बचाया है भेड़िया बोला जब बचाये थे तब बचाये थे अब मुझे भूख लगी है मैं तुम्हें खाऊंगा इतना कहकर झपट पड़ा कि शेर पास की झाड़ी में छुपा बैठा था गरज पड़ा और छलांग मारकर भेडिये को घायल कर दिया और प्राण लेकर बोला मित्र जब प्राण घाती कोई सामने रहे और प्राण पर संकट आने का भय हो तो मित्र या किसी संबंधी से सुरक्षित हूं या नहीं कहना चाहिए हिरण क्षमा मांगा और शेर के साथ चला गया।


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