कितने मौसम बीत गए
कितने मौसम बीत गए
याद आती हूं मैं,
क्या तुम भी करते हो मेरी बातें किसी से ?
सोचते हो रातों में, मेरी तरह मेरे बारे
सुनो!
मेरा मन, अधर सब अब भी तेरे नाम से ही रीझ गए
अब तो कितने मौसम बीत गए।
किसी अल्हड़ लड़की को गुजरते देखकर
अब भी कहते हो क्या, ये भी मुझ सी ही लगती है ?
या मेरी सारी बातें भूल गए ?
सुनो!
दो प्रेमी युगल जोड़े में, मुझे अभी अभी हम दीख गए
अब तो कितने मौसम बीत गए।
वो प्रेम में डूबी लड़की जो कभी तुमपे मरती थी
तुममे जीना सीख गई,
तुम्हे भूलने की कोशिश में, तुम्हारा ही सुमिरन करके
मीरा के जैसे ज़हर सा अमृत पीना सीख गई,
सुनो!
तुम भी क्या रघुराई जैसे, किसी और के नहीं समीप गए ?
अब तो कितने मौसम बीत गए।
या किसी और की मोहिनी सूरत पे तुम अंतर्मन से रीझ गए ?
अब तो कितने मौसम बीत गए।
कितने ही मौसम बीत गए।।