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Lokeshwari Kashyap

Drama Classics Inspirational

4.5  

Lokeshwari Kashyap

Drama Classics Inspirational

खुशियों के रंग राधा मोहन के संग

खुशियों के रंग राधा मोहन के संग

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मुस्कुरा कर बोले कान्हा प्यारी राधिका से।

बच के रहना प्यारी राधे होली में अपने मोहन से।

 रंग के रहेगा यह कान्हा तुम्हें गुलाल, अबीर से।

 बोली राधिका होठों में भरके मधुर मुस्कान।


 तुम अब क्या मुझे रंगोंगे मोहन इन रंगों से।

 तुम्हारी प्रीत का रंग मुझ पर चढ़ा है पहले से।

 मन रंगा है मेरा मोहन सतरंगी प्रेम रंग में।

 हरे,पीले,नीले,लाल,गुलाबी रंग अबीर के।


यह तो लगते हैं कान्हा सिर्फ ऊपर में तन के।

 मुझे तो भाए बस श्याम रंग प्रीतम के।

 जिसने रंगा है मेरे मन,हृदय पटल को।

 नटखट कान्हा बोले यू हंसकर राधिका से,


 मुझे बहलाओ मत राधे अपनी भोली बातों से।

 रंगे बिना छोडूंगा नहीं पिचकारी और गुलाल से।

 भर के पिचकारी,एक दूजे पर डारी प्यार से।

 भर गया सारा अंबर अबीर गुलाल से।


 तन मन तरंगीत हो रहा सबका आनंद से।

 धरती अंबर रंग गए राधे मोहन के रंग से।

 रंगों का ऐसा रंग चढ़ा चराचर, प्रकृति पुरुष पे।

 प्रेम रंग में रंगी दुनिया राधे कृष्णा के संग में।


 कौन है राधा कौन है मोहन पहचाने नहीं जाते।

 तन और मन रंगा हुआ है सबका रंगों से।

 हम भी सीखे इन रंगों के सुंदर त्योहार से।

खुशियों के रंग भरें हम भी सबके जीवन में।


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