खुशियों के दीप जलाओ
खुशियों के दीप जलाओ
खुशियों के दीप जलाओ,
अंधियारा अंतस का दूर भगाओ।
हर घर में छा जाए उजियारा,
ऐसे भर भर दीप जलाओ।।
अन्याय, झूठ और अत्याचार का क्रंदन,
इस सुंदर धरती से आज मिटाओ।
सुख शांति छा जाए चारों दिशाओं में,
सब खुशियों के दीप मिलकर आज जलाओ।।
नारी लज्जा बची रहे भूखे को खाना मिल रहे,
इतना मिलकर सुदृढ़ समाज बनाओ।
ज्ञान का चौतरफ़ा पहले उजियारा,
ऐसे घर-घर ज्ञान के दीप जलाओ।।
हर आंख में आशा और खुशियों का हो उजियारा,
मिटा दो भूख गरीबी ऐसा कुछ कर जाओ।
मिले सभी को यहां पर अपने हिस्से और हक का,
ऐसा कर्तव्य का दीपक सबके मन में आज जलाओ।।
है त्योहार दीवाली का सब मिलकर दीप जलाओ,
आज सभी मिलकर अंतस का अंधियारा मिटाओ।।
