STORYMIRROR

Nilofar Farooqui Tauseef

Classics Fantasy

4  

Nilofar Farooqui Tauseef

Classics Fantasy

खुद से प्यार

खुद से प्यार

1 min
262

मुश्किल वक़्त से गुज़र जाती हूँ

बिखरती हूँ फिर सँवर जाती हूँ।

हौसला हूँ मैं, खुद पे ऐतबार है।

हाँ खुद से मुझे प्यार है।


ज़माने की नज़र में अच्छी नहीं।

कभी झूठी तो कभी सच्ची नही।

ऐसी बातें मुझसे दरकिनार है।

हाँ खुद से मुझे प्यार है।


लोगों का क्या है, बात बनायेंगे।

कभी रुलायेंगे कभी हंसाएंगे।

दोहरा नहीं यहाँ मेरा किरदार है।

हाँ खुद से मुझे प्यार है।


मतलब की घड़ी में पास आना।

ज़ख़्म देकर दूर चले जाना।

ऐसी बातों से मुझे इनकार है।

हाँ खुद से मुझे प्यार है।


झूठ के आईने में सँवरती नही

सच्चाई से कभी मुकरती नही।

इन बातों पे मुझे इक़रार है

हाँ खुद से मुझे प्यार है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics