हरगोबिंद का तेघ
हरगोबिंद का तेघ
छे संतानें हरगोबिंद की―
पाँच बेटे और एक बेटी,
उसमे से थे छोटे त्याग जी
लेकिन था बल कम नहीं।
जन्म २१ अप्रैल १६२१
सिख धर्म के नौवे गुरु,
जन्मस्थल उनका पवित्र अमृतसर
और हुई एक शौर्यतापूर्ण कहानी शुरू।
फिर आया एक दुष्कर समय
औरंगज़ेब के साथ एक प्रचंड संग्राम,
करतारपुर में दिखाया सहस; बन गए तेघ बहादुर
बाकि सब चकित रह गए और
स्मरण किया उनका ही नाम।
छान मारा भारत का चप्पा-चप्पा
बन गए वहाँ सिख मंदिर,
गुरु नानक की सीख सिखाते
बन गए वो दार्शनिक और एक रणवीर !
