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Rajit ram Ranjan

Romance Tragedy Classics

4  

Rajit ram Ranjan

Romance Tragedy Classics

कभी हम भी प्रेमी थे..!

कभी हम भी प्रेमी थे..!

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उसकी क़ुरबत में ही दिन ढलते थे,

सपनें आँखों में कैसे-कैसे पलते थे,

उनके बिन ना हम, हमारे बिन ना वो तनहा रहते थे,

हमें ही सिखा रहें हैं, आज लोग मोहब्बत कि परिभाषा,

उन्हें कैसे बताये कि कभी हम भी प्रेमी थे, कभी हम भी आशिक़ थे..!


ज़ख्म दिल पे कितने खाए थे हम.

आशुओं से कभी नहाये थे हम,

बाहों में बाहे डालकर,

बड़ा मुस्कराये थे हम,

टुटके बिखर गये थे क़तरा - क़तरा मेरे हर अरमान,

और आज लोग हमें ही सिखा रहें हैं मोहब्बत का ज्ञान,

उन्हें कैसे बताये कि कभी हम भी प्रेमी थे, कभी हम भी आशिक़ थे!


फ़ोन पे वो लम्बे समय तक बात करना,

बाहों में बाहे डाल कर रात करना,

जानू,बाबू, सोना,जादू, टोना,

बड़े हसीन किस्से थे,

ये सब मेरे ही ज़िन्दगी के एक सुनहरे हिस्से थे,

आज हमको ही बता रहें हैं लोग,

इश्क़ के कारनामें...

उन्हें कैसे बताये कि,

कभी हम भी प्रेमी थे, कभी हम भी आशिक़ थे !


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