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सीमा शर्मा सृजिता

Classics

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सीमा शर्मा सृजिता

Classics

मलाल

मलाल

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ताउम्र तमन्नाओं को 

रहेगा ये मलाल

कि कुछ का ही सही 

मगर हो पाता पूर्णता से मिलन 

कि खाक होने से पहले

 वो भी ले पातीं

आजाद हवा में आजाद सांसें 


कि राख होने से पहले 

वो भी कह पातीं

अपने दिल की चंद बातें 

उनका यूं घुट घुटकर 

खुद में ही दफन होना 


महज दूसरों की खुशी के लिए

चुभता है बहुत 

जख्म आया जो हिस्से में 

कि दुखता है बहुत 

सच में ताउम्र तमन्नाओं को 


रहेगा ये मलाल 

काश ! कोई समझ पाता 

बिखरने के बाद का हाल।


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