STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

गरीबी

गरीबी

1 min
215

निर्धनता दुख देती आई,

जीना हो जाता है बेकार,

कभी जरूर किसी मोड़,

मिल जाती जन को हार।


नदी नाले जब पार करें,

नहीं मिलती नौका कोई,

बच्चों को पार उतारते हैं,

कहानी बनती तब नई।


बहुत कठिन होता जीवन,

हाथ कहां पे पसार पाएंगे,

ऐसे गरीब जन यूं ही जीते,

बेचारे दुख में मर जाएंगे।।


कहीं नहीं मिलता सुख,

जीवन में दुख ही दुख,

जिससे आशा मदद की,

वो ही मोड़ लेते हैं मुख।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics